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Showing posts from July, 2021

वनवासी हिन्दू है या नहीं? हिंदुओ ने उनके लिए क्या किया?

  वनवासी हिन्दू है या नहीं? आदिवासी महिलाओं की पुन: घर वापसी Tribals (वनवासी) के गांवो में विश्व हिन्दू परिषद(11,000<) व RSS जैसी संस्थाओं के हजारों विद्यालय दशकों से चल रहे है बिना स्वार्थ भाव। फिर आज वो आगे आकर कहते है कि कम हिन्दू नहीं। हम बिरसा मुंडा(पहले ईसाई मिशनरी के प्रभाव से ईसाई बने लेकिन गुरु ज्ञान प्राप्त कर सनातन धर्म अपनाया) की संतान नहीं? हम रामायण में उल्लेखित वो जनजातियां नहीं, हम महादेव के भक्त नहीं, हम भगवान वाल्मीकि (आज की वाल्मीकि जाति क्षत्रिय जाति है) की संताने नहीं, हम निषादराज के वंशज नहीं, नहीं नहीं ये भी नहीं पता कि आदिवासी तो सभी है लेकिन ट्राइबल वनवासी है। सरकार ने इन्हे उठाया लेकिन ये कहते है कि हमें तो फिर से ट्राइबल की श्रेणी दे, अरे आप जंगल में रहते ही नहीं तो कैसे वनवासी? यह सनातन बहुत प्राचीन है इसमें सभी आते है, सभी संस्कृतियों में इसकी जड़ें है। लेकिन ऐसा मानना सभी वनवासियों का नहीं है, छत्तीसगढ़ व कई राज्यो के वनवासी सनातनी है। मेरा आपसे यह सवाल है कि आप रिलिजन क्यों अपनाते है? जीवन पद्धति के लिए? जिससे आप एक वनवासी से सामाजिक बने तो हिन्दू...

रामायण भाग लेख संख्या -१

*आपसे विनती है, दिन का थोड़ा सा समय रामायण पाठ को देंवें* रामायण भाग लेख संख्या - 1 रामायण महाकाव्य की शुरुवात कैसे होती है, इसकी कल्पना आप हॉलीवुड फिल्मों से ,एलियन , दूसरे ग्रहों के लोगो की स्टोरी से कर सकते है ... पहली बात तो यह है, रामायण महाकाव्य को लेकर बहुत ही अधिक भ्रांतियां समाज मे फैली हुई है .... उसका निराकरण करना जरूरी है .... रामायण के आरम्भ की ही बात लीजिए । कई लोग समझते हैं कि बाल्मीकि जी ने रामायण पहले लिखी और जैसा उन्होंने लिखा ठीक वैसी ही रामायण की घटनाएँ हुई । यदि यह सही होता तो बाल्मीकि एक प्रगाढ़ ज्योतिषी के नाम से प्रख्यात होते और शायद उनका फलज्योतिष का भी कोई अलौकिक ग्रन्थ होता जिससे वह पाठकों को ग्रहगणित की वह अनोखी कुंजी बतलाते जिससे आगामी युगों के पूरे इतिहास के इतिहास बारीकी से पहले ही आँके जा सकते हैं ।  सच तो यह है कि रामायण की घटनाएं बहुत पुरानी हो जाने पर ही बाल्मीकि जी ने उनका संशोधन कर उसका इतिहास . लिखा । इस सम्बन्ध में नारद जी से उनका संवाद हुआ वह देखें ।  वाल्मीकि जी नारद जी से पूछते है :-  ॐ तपःस्वाध्यायनिरतं तपस्वी वाग्विदां वरम् ।...

धनुर्वेद का यह श्लोक कई राज खोलता है..

क्या धनुर्विद्या सीखने का अधिकार सिर्फ क्षत्रियों को है? हथियार उठाने की इजाजत किस किस वर्ण को है? शुद्र की स्थिति क्या? धनुर्वेद इन सब के बारे में क्या कहता है? धनुर्वेद श्लोक ३   In respect of the right on Dhanurveda, he said that the archery teacher should always be a brahmin. But the other two castes have equal right to use it in a battlefield. Also the Sudras have the right to learn archery for hunting purposes.//३// हिंदी में धनुर्वेद पर अधिकार के संबंध में उन्होंने कहा कि तीरंदाजी शिक्षक को हमेशा ब्राह्मण होना चाहिए।  लेकिन अन्य दो जातियों को युद्ध के मैदान में इसका इस्तेमाल करने का समान अधिकार है।  साथ ही शूद्रों को शिकार के उद्देश्य से तीरंदाजी सीखने का अधिकार है।//3// यह श्लोक धनुर्वेद में लिखा मिलता है इसी से साफ स्पष्ट हो जाता है कि शुद्र और दलित अलग अलग चीजे है व सभी को शस्त्र अस्त्र का ज्ञान होना चाहिए। धनुर्वेद का यह श्लोक इसलिए भी थोड़ा जरूरी है क्योंकि यह दिखाता है कि युद्ध में दो वर्णों को लड़ने का अधिकार है, इससे आप समझ सकते हो कि पहले जाति प्रथा नहीं थ...

"जननी जन्म भुमिश्च स्वर्गाऽपि गरियसी" श्लोक किस ग्रंथ में मिलता है? इसका अर्थ क्या है?

  जननी जन्म भुमिश्च स्वर्गाऽपि गरियसी   यह श्लोक वाल्मीकि रामायण से लिया गया है। आपका यह जानना भी जरूरी है कि यह श्लोक नेपाल का राष्ट्र वाक्य है। यह श्लोक वाल्मीकि रामायण में दो बार आया है। भारद्वाज, राम को सम्बोधित करते हुए कहते हैं- मित्राणि धन धान्यानि प्रजानां सम्मतानिव। जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥ हिन्दी अनुवाद : "मित्र, धन्य, धान्य आदि का संसार में बहुत अधिक सम्मान है। (किन्तु) माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है।" दूसरा रूप : इसमें राम, लक्ष्मण से कहते हैं- अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥ अनुवाद : " लक्ष्मण! यद्यपि यह लंका सोने की बनी है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। (क्योंकि) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। इसलिए दोस्तो हमारा धर्म हमें सीखाता है कि देश सबकुछ है,इसके लिए प्राण देने पर भी संकोच भी करना चाहिए। भारत माता की जय जय हिन्द

क्रांतिकारी आजाद पुस्तक विवरण व डाउनलोड पीडीएफ

 " क्रांतिकारी आजाद" यह उनकी कथात्मक जीवनी है यानी उनके दोस्तो, साथियों, गांव वालो के बताए व लिखित लेख के अनुसार लिखी गई है। इसके लेखक शंकर सुल्तानपुरी है। यह किताब दिल को छूं लेने वाली है,इससे आपको देशभक्त आजाद की आजादी की लड़ाई के अदम्य साहस का पता चलेगा, किताब के कुछ अंश में आपको बताता हूं जब आजाद बचपन में घर छोड़कर बनारस चले गए थे और संस्कृत की पढ़ाई करने के लिए दाखिला लिया, एक दिन कॉलेज के कुछ बच्चो ने एक जुलूस निकाला जिसका नेतृत्व आजाद ने किया। और वो शेर की तरह दहाड़ते रहे जिसमे नारे थे, इंकलाब जिंदाबाद, अंग्रेजो भारत छोड़ो, भारत माता की जय, महात्मा गांधी जिंदाबाद..........। फिर इस बात की भनक जब अंग्रेजों को लग गई तब वह भीड़ पर यानी बच्चों पर लाठियां बरसाने लगी लेकिन बाकी बच्चे तो डर के मारे भाग गए लेकिन आजाद वहीं डटे रहे और शेर की तरह दहाड़ते रहे फिर उन्हें पुलिस पकड़ कर ले गई वह अदालत में पेश किया गया क्योंकि उनकी उम्र कम थी वे नाबालिग थे अतः उन्हें जेल में नहीं डाला जा सकता था इसलिए उन्हें कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी और जब पुलिस वाले उनके हाथ बांधने लगे तो आजाद ने...

इस्लाम अरब के लिए है भारत के लिए नहीं_ part 1

 "इस्लाम अरब के लिए है     भारत के लिए नहीं" हर रिलिजन के साथ उसकी संस्कृति जुड़ी होती है अत: निश्चित है कि इस्लाम के साथ अरब की संस्कृति जरूर जुड़ी होगी। आप जानते है कि संस्कृति स्थान व भौगोलिक क्षेत्र से पूर्णत जुड़ी होती है, अत: एक तर्क यह है कि क्या दूसरा देश उस दूसरी संस्कृति के साथ संघर्ष कर पाएगा, क्या अपना अस्तित्व बचा पाएगा, क्या ये बेवकूफी नहीं है? मै आपको अनेकों उदाहरणों के साथ समझाता हूं,  आज पूरी दुनिया में लगभग 57 मुस्लिम राष्ट्र है लेकिन उस में विकसित राष्ट्र कितने हैं? कभी सोचा है,मैं कह रहा हूं कि संस्कृति मूल स्थान की होती है अतः अरब आज एक संपन्न देश है चाहे अब वह तेल के कुओं की वजह से ही क्यों ना हो लेकिन वहां की संस्कृति वहां के लिए बेहतर है और आप देखेंगे कि सऊदी अरब में लाउडस्पीकर पर बैन है। हाल ही में उन्होंने रामायण में महाभारत को स्कूली कोर्सों में शामिल कर लिया है और शरिया कानूनों को हटाकर महिलाओं को विशेष अधिकार तक दे दिए है। लेकिन और देशों में क्या हो रहा है? अफगानिस्तान आतंकवादी बना हुआ है। इराक सीरिया सब खत्म है बस वहां पर आतंकवादी प...

एक गाना जो हमे राह दिखा देता है_श्रीराम जी की सेना चली

 " श्रीराम जी की सेना चली" पापियों के नाश को …………. धर्मं के प्रकाश को ………. पापियों के नाश को, धर्मं के प्रकाश को रामजी की सेना चली, रामजी की सेना चली श्री रामजी की सेना चली, रामजी की सेना चली. पाप अनाचार में, घोर अन्धकार में एक नई ज्योति जली, एक नई ज्योति जली श्री रामजी की सेना चली, रामजी की सेना चली. निशिचर हीन करेंगे धरती, यह प्राण है श्री राम का जब तक काम न पूरण होगा नाम नही विश्राम का उसे मिटानें चलें के जिसका मंत्र वयम रक्षाम का समय आचाला निकट राम और रावण के संग्राम का समय महा संग्राम का तीन लोक धन्य हैं ……...... देवता प्रस्सन्न हैं .......... तीन लोक धन्य हैं, देवता प्रस्सन्न हैं आज मनोकामना फली, आज मनोकामना फली श्री रामजी की सेना चली, रामजी की सेना चली. रामचन्द्रजी के संग लक्ष्मण कर में लेकर बाण चले लिए विजय विश्वास ह्रदय में संग वीर हनुमान चले सेना संग सुग्रीव, नील, नल, अंगद छाती तान चले उसे बचाए कौन के जिसका वध कराने भगवान चले वध कराने भगवान चले आगे रघुनाथ हैं …….. वीर साथ साथ हैं ………. आगे रघुनाथ हैं, वीर साथ साथ हैं एक से एक बलि, एक से एक बलि श्री रामजी की सेना चली,...

मेरी नजर में हिन्दू मुस्लिम वाद_pulkit garg

  हिन्दू मुस्लिम वाद अक्सर देखा जाता है की ज्यादातर हिंदू मुसलमानों के ग्रंथों की बुराइयां करते हैं व मुसलमान हिंदुओं की आपसी फूट यानी जातियों की बात करते हैं। लेकिन इस आपसी झगड़े का मूल कौन है किसने यह झगड़ा प्रारंभ करवाया? आप जानते है की जब मुग़ल थे तब भी यह झगड़ा नहीं था क्योंकि सब जगह हिंदू ही हिंदू थे, लेकिन कुछ लोगों ने डर के कारण धर्म तो बदल लिया लेकिन संस्कृति उनकी भारतीय ही रही। आप ढूंढोगे तो आपको मिलेगा की पूरे मेवात इलाके में आज भी सारी हिंदुओं के प्रथा निभाई जाती है मुसलमानों के द्वारा। जैसे घोड़ी पर चढ़ना, हल्दी रस्म, मेहंदी, मकर संक्रांति व नाम भी। यह झगड़ा शुरू करवाने के दो मुख्य वजह हैं एक कांग्रेस जिसने एक देश एक कानून बनाने की जगह मुस्लिम तुष्टीकरण किया और दूसरा जमात, इन्होंने इन लोगों को धर्म की शिक्षा तो दी लेकिन उनकी संस्कृति को बदल दिया यानी उन्हें अरब की संस्कृति में ढालने लगे, नाम परिवर्तित करवाएं, आज भी आप नाम देख लेना मिल जाएगा राम खान, श्यामलाल। और इनकी संस्कृति को भी बदलने कि कोशिश की, लेकिन यहां तक झगड़ा शुरु नहीं हुआ था, झगड़े का मूल कारण है की एक मुस्...

प्रधानमंत्री को मेरा पत्र A letter for prime minister

 #प्रधानमंत्री_को_पत्र माननीय प्रधानमंत्री जी, मेरा आपसे एक निवेदन है को देश हित के लिए है। आप भी जानते है कि सदियों से अफगानिस्तान भारत देश का ही हिस्सा रहा बल्कि आर्यों की उत्पत्ति का मुख्य स्थल रहा। मुस्लिम आक्रांताओं में वहां के आर्य राजाओं को हराकर अपना राज्य कायम किया व धर्मांतरण कराया लेकिन जो बात मै आपसे कहना चाहता हूं वह है कि अफगानिस्तान स्वतंत्रता के बाद भारत में क्यों नहीं मिला? इसका कारण था कि वहां ब्रिटिश राज नहीं था और कांग्रेस इतनी समस्या में थी कि उन्होंने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया। आप भी जानते है उनमें है तो खून हिंदुओ का ही। तो वो हमारे ही भाई है। आज वहां आतंकवाद चरम पर है व अफगानिस्तान दूसरे देशों की तरफ मदद की आस लिए हुए है ऐसे मै हमें उनकी मदद करनी चाहिए व उन्हें उनका इतिहास बताना चाहिए,जिससे आर्य जाती एक साथ मिलकर उन आतंकवादियों का सामना करे। हमें दोबारा से वहां सनातन संस्कृति व नियमो को लागू करवाना चाहिए, जिससे अफगानिस्तान के लोग फिर से भारत प्रेमी हो सकते है। इसके लिए हमें अफगानिस्तान से संधि करनी चाहिए व सेना भेज कर उनकी मदद करनी चाहिए, बदले में अफगानिस...

खुद की खोज book

      "खुद की खोज ” मुझे नहीं पता मै कौन हूं? मै क्या हूं? किस चीज के लिए इस असीम परमात्मा ने मुझे जन्म देकर धरती पर भेजा। मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? क्या मैं देशभक्त हूं? या फिर प्रकृति प्रेमी? मुझे आगे क्या करना है? मैं इस बात को लेकर बहुत चिंतित हूं। मुझे लगता है आप भी होंगे? इस चिंता के हल में मुझे अपना और आपको आपका उत्तर मिल जाएगा। शीर्षक 1. मुझे ऊपरवाले ने इंसान ही क्यों बनाया? अथवा ऊपरवाले ने इंसान क्यों बनाया? 2. इंसान ने इंसानियत कैसे और क्यूं छोड़ी? 3. आज हम किस दिशा में बढ़ रहे है? 4. क्या मैं असली देशभक्त हूं? देश क्या है? या देशभक्त कैसे बनूं? 5. क्या प्रकृति प्रेमी ही असली देशभक्त? 6. आगे क्या करना है? 7. एक स्वदेशी ही असली देशभक्त? 8. हम फिर से पुराना भारत कैसे बनाएं? अथवा मेरे सपनो का भारत? अथवा सोने की चिड़िया? 9. हम बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गुलाम? अथवा हमें इन चीजों की कभी जरूरत ही नही थी? 10. क्यों पिछड़ गए हम? अथवा भारत गुलाम क्यूं हुआ? 11. अन्तिम दो शब्द About to author मै ना तो कोई लेखक हूं और ना ही कोई ज्ञानी। यह किताब मै इंसानों को उनके जी...

अगरबत्ती धर्म व पर्यावरण विरुद्ध है

 Agarbatti or Incense : Agarbatti smoke could be as dangerous as cigarette smoke. composition: bamboo stick jiggat powder( bark of litsea glutinosa, known as jiggat ,may be used as an adhesive paste in incense stick. Nurva powder Charcoal powder and perfumes. origin Indus civilisation , ancient egypt, china, arab the bamboo method origianted in india in 19th century. word origin agar mean aroma vatti mean wound or grief large part of indian economy arthvved and rigveda  india is one of the top incense product country. air pollutant, on average