"क्रांतिकारी आजाद"
यह उनकी कथात्मक जीवनी है यानी उनके दोस्तो, साथियों, गांव वालो के बताए व लिखित लेख के अनुसार लिखी गई है।
इसके लेखक शंकर सुल्तानपुरी है। यह किताब दिल को छूं लेने वाली है,इससे आपको देशभक्त आजाद की आजादी की लड़ाई के अदम्य साहस का पता चलेगा,
किताब के कुछ अंश में आपको बताता हूं
- जब आजाद बचपन में घर छोड़कर बनारस चले गए थे और संस्कृत की पढ़ाई करने के लिए दाखिला लिया, एक दिन कॉलेज के कुछ बच्चो ने एक जुलूस निकाला जिसका नेतृत्व आजाद ने किया। और वो शेर की तरह दहाड़ते रहे जिसमे नारे थे, इंकलाब जिंदाबाद, अंग्रेजो भारत छोड़ो, भारत माता की जय, महात्मा गांधी जिंदाबाद..........। फिर इस बात की भनक जब अंग्रेजों को लग गई तब वह भीड़ पर यानी बच्चों पर लाठियां बरसाने लगी लेकिन बाकी बच्चे तो डर के मारे भाग गए लेकिन आजाद वहीं डटे रहे और शेर की तरह दहाड़ते रहे फिर उन्हें पुलिस पकड़ कर ले गई वह अदालत में पेश किया गया क्योंकि उनकी उम्र कम थी वे नाबालिग थे अतः उन्हें जेल में नहीं डाला जा सकता था इसलिए उन्हें कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी और जब पुलिस वाले उनके हाथ बांधने लगे तो आजाद ने बड़े साहस के साथ कहा की हाथ बांधने की कोई जरूरत नहीं है मैं नहीं भागूंगा। फिर क्या वो कोड़े मारते रहे और कोडो के साथ आजाद भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय, के नारे लगाते रहे और अंत में वह बेहोश हो गए लेकिन जल्दी ही खड़े होकर मानो ऐसे चल दिए कि कुछ हुआ ही नहीं जबकि उनकी चमड़ी उखड़ चुकी थी खून निकल रहा था। तभी से उन्होंने कसम खाई कि आज के बाद पुलिस उन्हें कभी नहीं पकड़ पाएगी। तभी से उनके नाम के पीछे आजाद जुड़ गया।
- एक कविता जो वो हमेशा गाया करते थे
दुश्मनों की गोलियों का सामना हम करेंगे।
आजाद ही रहे है, आजाद ही रहेंगे।
आपको यह पुस्तक बहुत पसंद आएगी। अत नीचे दी गई लिंक से इसे डाउनलोड कर पढ़े। मेरा दावा है कि यह पुस्तक पठन पुस्तक के ख़तम होने पर ही रुकेगा।
धन्यवाद।

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