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इस्लाम अरब के लिए है भारत के लिए नहीं_ part 1

 "इस्लाम अरब के लिए है 

   भारत के लिए नहीं"

हर रिलिजन के साथ उसकी संस्कृति जुड़ी होती है अत: निश्चित है कि इस्लाम के साथ अरब की संस्कृति जरूर जुड़ी होगी।

आप जानते है कि संस्कृति स्थान व भौगोलिक क्षेत्र से पूर्णत जुड़ी होती है, अत: एक तर्क यह है कि क्या दूसरा देश उस दूसरी संस्कृति के साथ संघर्ष कर पाएगा, क्या अपना अस्तित्व बचा पाएगा, क्या ये बेवकूफी नहीं है?

मै आपको अनेकों उदाहरणों के साथ समझाता हूं, 

  1. आज पूरी दुनिया में लगभग 57 मुस्लिम राष्ट्र है लेकिन उस में विकसित राष्ट्र कितने हैं? कभी सोचा है,मैं कह रहा हूं कि संस्कृति मूल स्थान की होती है अतः अरब आज एक संपन्न देश है चाहे अब वह तेल के कुओं की वजह से ही क्यों ना हो लेकिन वहां की संस्कृति वहां के लिए बेहतर है और आप देखेंगे कि सऊदी अरब में लाउडस्पीकर पर बैन है। हाल ही में उन्होंने रामायण में महाभारत को स्कूली कोर्सों में शामिल कर लिया है और शरिया कानूनों को हटाकर महिलाओं को विशेष अधिकार तक दे दिए है। लेकिन और देशों में क्या हो रहा है? अफगानिस्तान आतंकवादी बना हुआ है। इराक सीरिया सब खत्म है बस वहां पर आतंकवादी पैदा होते हैं तो आप इसका अर्थ लगा सकते हैं कि जिस इस संस्कृति का मूल जिस देश में हुआ उन्होंने ही वह संस्कृति त्याग दी जबकि आप भारत में स्थिति देखें तो अरब से ज्यादा तो भारत में मुस्लिमों को विशेष अधिकार है। मेरी यह बात छोटी बजटिंग जरूर है लेकिन यदि इसका आत्ममंथन किया जाए तो स्वयं मुस्लिम भी इस बात को समझ जाएगा कि वह संस्कृति अरब की हो सकती है और वहां पर उसके दुष्प्रभाव भी नहीं देखे जा रहे हैं बल्कि उन्होंने आसानी से गलत बातो को त्याग दिया जबकि उनकी संस्कृति दूसरे देशों पर जबरदस्ती थोपी गई इसलिए आज वहां पर इतने भयानक प्रभाव है। 
  2. इस्लामिक संस्कृति कहती है कि मांसाहार करना चाहिए, अब इसे भी मैं आपको स्थान विशेष से जोड़ कर बताऊंगा कि हां हो सकता है यह अरब के लिए ठीक हो लेकिन यहां के लिए तो यह एक अभिशाप है। अरब वहां पर सिर्फ रेगिस्तान ही रेगिस्तान है खेती नहीं होती वहां पर,अत: उनका भोजन क्या होगा? क्या खाएंगे वो? मांस ही तो खाएंगे जैसे आदिमानव खाते थे। जबकि इसके विपरीत भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां पर तो कृषि के लिए भी अनेकों ग्रंथ लिखे गए हैं हर किसान पढ़ा लिखा होता था यहां पर ज्ञान भूतनी था वह शारीरिकी(एनाटॉमी) इसे लेकर मानसिकता तक को भलीभांति समझते हुए पढ़ते थे। आज भी यह दावा हो चुका है कि शाकाहार ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है वरना जानवरों में और मानव में कोई फर्क नहीं है। शाकाहार से ही ईश्वर प्राप्ति की जा सकती है और शाकाहार से ही बुद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है, इसलिए आप सोच सकते हैं कि भारत के लिए शाकाहार कितना खतरनाक हो सकता है और दूसरा भारतवासी हर जीव के अंदर ईश्वर को देखता है क्योंकि यह हमारा धर्म कहता है की सभी 8400000 योनियों एक समान है लेकिन मनुष्य इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि इससे ईश्वर प्राप्त की जा सकती है तो बताओ ऐसे देश में मांसाहार अत्यंत दुखनीय है। 
  3. मैं आपको यहां पर एक और खास चीज बताता हूं कि सिर्फ भारत का मुसलमान कहता है कि अल्लाह सभी जगह है बाकी और कहीं का नहीं कर सकता क्योंकि अल्लाह शब्द ही वहां पर स्पृष्ट वर्णित है, मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह मक्का में अल्लाह यानी अरब का देवता कहते थे,जब मदीना से फौज लेकर निकले तो कहा कि मोमिनों अल्लाह पूरी दुनिया का मालिक है और तुम उसी का काम कर रहे हो इसलिए डरने की जरूरत नहीं है। क़यामत में तुम्हारे काम की पूरी भरपाई कि जाएगी। 
  4. उन्होंने शराब को तो तिरस्कृत कर दिया क्योंकि मैं उनकी मूलभूत आवश्यकता नहीं थी जबकि इससे व्यभिचार ही बढ़ रहा था। लेकिन वही ईसाइयों को ठंड के कारण शराब एक वरदान थी तो ईसाई धर्म में इसकी अनुमति देता है, जबकि भारत के लिए दोनों ही बेकार है इसलिए भारतीय संस्कृति दोनों को वर्जित करती है।
  5. उनका हरा रंग पवित्र इसलिए है क्योंकि वहां हरियाली नहीं है इसलिए हरा रंग उनके लिए बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखता है जबकि भारत में हरियाली हरियाली है चारों तरफ ही हरा रंग देखने को मिल जाता है इसलिए यहां तो भगवा ही श्रेष्ठ है, यह रंग भारत के शौर्य व तेजस्विता का प्रतीक है। साधुओं व गौतम बुद्ध से जुड़े कई किस्से सुनने को मिल जाते है जो भगवा की श्रेष्ठता तो बतलाते है।
  6. वहां पर छोटे-छोटे कबीले थे इसलिए संख्या बढ़ाने के लिए आपसी शादियां भी हो जाया करती थी, हकीकत में देखा जाए तो वहां पर पशुता थी लेकिन भारत पूर्णत: वैज्ञानिक था इसलिए यहां गोत्र प्रथा चलती थी। इससे रक्त शुद्ध रहता है व आनुवंशिक बीमारियां नहीं होती। लेकिन आज कल बहुत सुनने को मिल जाती है। इसलिए कबीला प्रथा नहीं गोत्र प्रथा श्रेष्ठ व वैज्ञानिक है। मैं संख्या बढ़ाने के लिए वह अनेकों विवाह भी कर लेते थे जबकि भारत में पत्नी को अर्धांगिनी माना जाता है।इससे भी सिद्ध होता है कि वहां की संस्कृति वहां के लिए ठीक है और यहां की संस्कृति वैज्ञानिक है वहां के लिए श्रेष्ठ है।
  7. वहां गर्मी पड़ती है इसलिए वो सफ़ेद कपड़े पहनते है,सिर पर टोपी पहनते है।जबकि यहां पर चोटी रखते थे जिससे बुद्धि बढ़ती है।
वहां पर लोग अनपढ़ जाहिल होते थे अतः वहां शरिया कानून हो सकता है ठीक हो लेकिन हमारे पास 56 से भी ज्यादा नीतियां है इसलिए हमें इन फालतू चीजों की कोई जरूरत नहीं है, मार्गदर्शन के लिए वेद है, 18 स्मृतियां, नीतियां, पुराण है।

इतने उदाहरणों से आप समझ गए होंगे कि हो सकता है इस्लाम वहां के लिए कभी ठीक रहा हो लेकिन वह आज व भारत के लिए बिल्कुल बेकार है।
धन्यवाद, मिलते है अगली पोस्ट में
कमेंट करके हौसला जरूर बढ़ाना।
जय हिन्द🕉️🕉️🇮🇳

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